Wednesday 3 October 2012

प्रीतपाल को नापने की तैय्यारी

भाजपा नेत्री ने नेता प्रतिपक्ष से मिलाया हाथ
दक्षिणापथ डेस्क
दुर्ग। जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक में राजनीतिक उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर जहां मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसके जोशी, संचालक मंडल को नाप देने की सरेआम धमकी दे रहे हैं तो दूसरी ओर सहकारिता की राजनीति पर कब्जे की जुगत में मुंह की खा चुकी सांसद सरोज पाण्डेय ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे से हाथ मिलाकर प्रीतपाल को पटखनी देने की पूरी तैयारियां कर ली है। इसका खामियाजा भाजपा को अपने अगले मिशन में भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि किसानों के बीच बड़े और सर्वसमान्य नेता के रूप में उभरकर सामने आए प्रीतपाल का अहित पार्टी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता।
सहकारिता पुरूष और किसान नेता के रूप में तेजी से पहचान बना रहे जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, दुर्ग के अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन एक बार फिर अध्यक्ष बन पाएंगे या नहीं, यह तो समय के गर्भ में है, किन्तु उन्हें अध्यक्ष न बनने देने के लिए पुरजोर कोशिशें चल रही है। धमधा, साजा से लेकर बेमेतरा तक के इलाकों में सांसद सरोज पाण्डेय ने विधायक व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे के साथ तालमेल कर सहकारिता चुनाव लड़ा था। यह दीगर बात है कि इसमें इस जुगलबंदी को ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई। छत्तीसगढ़ में सहकारिता के क्षेत्र में दुर्ग को यदि नई पहचान मिली है तो इसकी वजह बेहतर नेतृत्व क्षमता और अंशधारकों को मिलने वाला लाभ है। सहकारिता की इस लोकप्रियता ने जिले में भाजपा का ग्राफ भी तेजी से बढ़ाया, लेकिन डंडे के जोर पर राजनीति करने वालों को पार्टी का यह बढ़ता ग्राफ रास नहीं आ रहा है। इसी वजह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और साजा विधायक रविन्द्र चौबे के साथ मिलकर अगड़ी राजनीति का एक नया खेल शुरू हो गया है। जिला पंचायत अध्यक्ष जीवनलाल वर्मा द्वारा सबको योजना का विरोध अप्रत्यक्ष रूप से चौबे बंधुओं का ही विरोध माना जा रहा है।
अगले-पिछड़े का पुराना इतिहास
छत्तीसगढ़, खासकर दुर्ग जिले में अगड़े-पिछड़े की राजनीति का इतिहास काफी पुराना है। नतीजतन राजनीतिक दलों को इसी गणित के आधार पर टिकट का वितरण करना होता है। जरा सी चूक किसी भी दल के प्रत्याशी को हाशिए पर ढकेल देती है। जिले के राजनीतिक इतिहास में इसके कई उदाहरण भी मौजूद है। दुर्ग जिले के विभाजन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एक दमदार पिछड़े नेता की दरकार थी, जिसकी पूर्ति प्रीतपाल बेलचंदन करते नजर आते है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज वे जिले के सर्वमान्य पिछड़े नेता हैं। शायद यही वजह है कि कई लोगों के पेट में दर्द होने लगा है। ऐसे लोग प्रीतपाल को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें घेरने की नित नई जुगत लगा रहे हैं। वर्तमान सीओ एसके जोशी यदि प्रीतपाल और सहकारिता पैनल को नाप देने की बात कहते हैं तो समझ में आता है कि यह उनकी अपनी जुबान नहीं है। जोशी को सांसद के साथ ही नेता प्रतिपक्ष चौबे का भी समर्थन बताया जाता है।
भारी पड़ेगी जुगलबंदी
सहकारिता की राजनीति से अनजान सांसद सरोज पाण्डेय ने जब सहकारिता पैनल के खिलाफ अपने लोगों को तैयार किया तो उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि यह दाँव उलटा पड़ सकता है। लेकिन ऐसा होने के बाद उन्हें नेता प्रतिपक्ष चौबे से हाथ मिलाना पड़ा। चौबे, सहकारिता और उसकी राजनीति से भलीभांति वाकिफ हैं, इसलिए इन दो नेताओं की जुगलबंदी प्रीतपाल और उनके संचालक मंडल पर भारी पड़ सकती है।
...तो शुरू होगा निपटाओ अभियान
जिला भाजपा में दो ही गुटों का बोलबाला है और प्रीतपाल को पंचायतमंत्री हेमचंद यादव का समर्थक माना जाता है। यह भी एक तथ्य है कि यादव व प्रीतपाल दोनों ही पिछड़ा वर्ग से हैं। इन परिस्थितियों में कोई भी नेता यह नहीं चाहेगा कि उसका समर्थक पिछड़ा वर्ग की अगुवाई में उनके समकक्ष आए। इसके विपरीत किसानों के बीच अपनी भीतरी पैठ को लेकर सांसद समर्थक भी उनके खुश नहीं हैं। इन परिस्थितियों में हालात दोनों ही ओर से प्रीतपाल के खिलाफ हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रीतपाल बेलचंदन को दुर्ग ग्रामीण से टिकट मिली थी। वे यह चुनाव 1500 वोटों से हार गए, लेकिन लोकसभा चुनाव में सरोज पाण्डेय को इसी दुर्ग ग्रामीण से साढ़े 12 हजार वोटों की चपत लगी। विवाद की शुरूआत भी यहीं से हुई। अब जबकि राजनीतिक रस्साकसी ते•ा हो रही है, जाहिर तौर पर निपटाओ अभियान शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में कुल मिलाकर नुकसान भाजपा को ही झेलना पड़ेगा।
एक तीर, दो निशाने
सांसद सरोज पाण्डेय ने सतनामी समाज में अपनी पकड़ मजबूत बनाने एक ही तीर से दो शिकार किए। उन्होंने सहकारी बैंक के सीओ जोशी को मुखौटा बनाकर जहां बैंक अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन पर हमला बोला, वहीं सीओ का साथ देकर सतनामी समाज में भी अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश की। इससे पहले इसी समाज के नवागढ़ से विधायक दयालदास बघेल को आगे लाने और मंत्री बनवाने, विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा को अजा आयोग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिलवाने में भी सांसद सरोज की भूमिका अहम् रही है। यही वजह है कि सतनामी समाज के प्रिय नेता के रूप में सांसद सरोज पाण्डेय की पहचान बनी है।

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