Wednesday 3 October 2012

अपनों के चक्रव्यूह में रमन

रायपुर। कोल ब्लाक आबंटन को लेकर मचा घमासान अब भी थम नहीं पाया है। भले ही केन्द्र सरकार ने सिलेंडर और डीजल की कीमतें बढ़ाकर इस घमासान को थामने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन आम आदमी अब भी बढ़ी कीमतें के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पा रहा है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार की मुश्किलें भी कोयले की ही वजह से बढ़ी हुई है। रमन जहां संचेती ब्रदर्स को नियम विरूद्ध कोल ब्लाक आबंटन को लेकर घिरे हुए हैं, वहीं भाजपा के दिग्गज नेता कैग को संवैधानिक संस्था बताकर उस पर उंगलियां उठाने के खिलाफ हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के मुखिया को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें?
महानियंत्रक तथा महालेखाकार (कैग) के पक्ष में भाजपा के बड़े नेताओं के बयान ने राज्य सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इससे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि वर्ष 2010-12 की सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में पेश किए जाने के बाद अब तक लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास नहीं भेजी गई है। कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में कैग की रिपोर्ट के बाद देश की राजनीति में घमासान मचा है। कांग्रेस इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है। इसके विपरीत भाजपा कैग की रिपोर्ट पर संसद का मानसून सत्र ठप कर चुकी है। और अब सड़क पर लड़ाई लड़ रही है। भाजपा कैग की रिपोर्ट को आधार बनाकर कोल आवंटन में की गई गड़बड़ी को देश का सबसे बड़ा घोटाला करार दे रही है। भाजपा का दूसरा चेहरा छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है, जहां सीएजी ने संचेती को नियम विरूद्घ कोल ब्लॉक आवंटन करने पर सरकारी खजाने को 1052 करोड़ रूपए का नुकसान होने की बात कही है। प्रदेश की भाजपा सरकार इसे नकार रही है। लेकिन राज्य की भाजपा सरकार से उसी की पार्टी के बड़े नेता इत्तेफाक नहीं रखते। पिछले कुछ समय में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह व डॉ. मुरली मनोहर जोशी तथा लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक रमेश बैस कह चुके हैं कि महानियंत्रक तथा महालेखाकार एक संवैधानिक संस्था है। इसका काम सरकारी धन के इस्तेमाल की समीक्षा करना है। इस पर उंगली उठाना ठीक नहीं है। भाजपा के तीनों नेताओं ने सीएजी का आदर करने की बात कही है।
वरिष्ठ नेताओं के लगातार बयानों से राज्य सरकार की दिक्कतें बढ़ गई हैं, क्योंकि विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट पर अब तक न सदन में चर्चा कराई गई है और न ही परीक्षण के लिए उसे लोक लेखा समिति के पास भेजा गया है। संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मुताबिक, नियमानुसार सीएजी की रिपोर्ट को परीक्षण के लिए लोक लेखा समिति को भेजा जाना है। उसके निष्कर्षो के आधार पर ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पूर्व भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कैग को संवैधानिक संस्था बताते हुए कहा था कि इसका काम सरकारी कामकाज का आकलन करना है। यह उसका दायित्व है कि वह देखे की सरकारी राशि का कहां और किस तरह के दुरूपयोग किया गया है। इस पर संदेह करना अनुचित है। वहीं एक अन्य भाजपाध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने भी कहा था कि कैग ने कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर मजबूत आधारों के साथ रिपोर्ट तैयार की है। उसकी रिपोर्ट पर सवाल-जवाब तैयार करना ठीक नहीं है। इसके लिए रोज कैग को भला-बुरा कहने से कुछ नहीं होगा। इधर, वरिष्ठ नेता और पार्टी के मुख्य सचेतक रमेश बैस भी कह रहे हैं कि कैग को संविधान के तहत अधिकार प्राप्त है। उसकी रिपोर्ट पर मीनमेख निकालना ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार रिपोर्ट को तत्काल लोक लेखा समिति के हवाले करे, ताकि उसके निष्कर्षो के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की जा सके।
अब तक सीएजी रिपोर्ट से किनारा करती रही छत्तीसगढ़ की सरकार के लिए उसकी अपनी ही पार्टी के नेताओं के बयान परेशानी का सबब बन गए हैं। यह मामला रमन सरकार के लिए गले की हड्डी बनकर रह गया है। फिलहाल तो रमन सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही।

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