Wednesday 3 October 2012

आकार लेने लगा तीसरा मोर्चा

दक्षिणापथ डेस्क
दुर्ग। भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में तीसरा मोर्चा आकार लेता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच, बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे संगठन भले ही एकाकार नहीं हो पाए, किन्तु पिछले दिनों हुए छत्तीसगढ़ी बईठका से कम से कम यह राजनीतिक संदेश तो निकल ही आया कि सभी आपसी तालमेल बनाकर काम करेंगे। इसके लिए 15 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन भी किया गया।
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को राज्य की सत्ता में आने से रोकने और राज्य में दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों का सशक्त क्षेत्रीय विकल्प बनाने की राजनीतिक रणनीति पर कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने, मिशन-2013 की कार्ययोजना पर अमल करने की गति को तेज कर दिया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविन्द नेताम, पुरूषोत्तम कौशिक से प्रारंभिक चर्चा के दौर की सफलता से अभिभूत छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने विगत दिनों भिलाई में छत्तीसगढ़ी बईठका का आयोजन किया। बईठका में स्वास्थगत कारणों से पुरूषोत्तम कौशिक व्यक्तिगत रूप से तो उपस्थित नहीं हो सके लेकिन फोन के माध्यम से, बईठिका की जानकारी लेते रहे। पूर्व मंत्री आदिवासी नेता अरविन्द नेताम और नौकरशाह पूर्व आई.ए.एस. जे.आर.राणा के अलावा, गोण्डवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नन्द किशोर राज, प्रदेश महासचिव रघुराज सिंह मरकाम और राष्ट्रीय महासचिव डॉ.एस.एल.उध्य भी शामिल हुए। इस प्रकार आदिवासी समुदाय की आयोजन में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज हुई। बसपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दाऊराम रत्नाकर, पूर्व विधायक रामेश्वर खरे एवं इंजीनियर बसंत देशलहरे के अलावा पूर्व मंत्री डी.पी. धृतलहरे एवं पूर्व विधायक डॉ. छबिलाल रात्रे ने प्रदेश के सतनामी समाज का प्रतिनिधित्व किया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में क्षेत्रीय विकल्प बनाने के लिये छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच सोशल इंजीनियरिंग पर कार्य करते हुए आदिवासी, साहू और सतनामी नेतृत्व को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश कर रही है। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच को इसमें सफलता भी मिलती नजर आ रही है। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय, सेक्टर-9 में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे मंच के अध्यक्ष पूर्व सांसद ताराचन्द साहू समय निकालकर बईठका में शामिल हुए।
छत्तीसगढिय़ा बईठका में इस बात पर आम सहमति व्यक्त की गई कि राज्य में जल, जंगल, जमीन और खनिज की लूट खसोट करने में भाजपा और कांग्रेस एक समान रूप में शामिल है और दोनों ही पार्टियों के खिलाफ संयुक्त संघर्ष आयोजित किया जाना चाहिए। अरविन्द नेताम और पुरूषोत्तम कौशिक के छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच में शामिल होने पर और बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा तथा गोड़वाना गणतंत्र पार्टी के छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच में विलय पर तो बात नहीं बनी अलबत्ता आपस में तालमेल बनाये रखने पर सभी सहमत हो गये और 15 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन भी कर लिया गया। समन्वय समिति की पहली बैठक अतिशीघ्र बिलासपुर में आयोजित होने वाली है। भिलाई में छत्तीसगढिय़ा बईठका से उत्साहित छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच द्वारा पूर्व सांसद पी.आर.खूंटे की पार्टी छत्तीसगढ़ विकास पार्टी एवं छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी के, मंच में विलय के प्रयास शुरू कर सकती है, इस बात की पूरी संभावना नजर आ रही है कि पूर्व सांसद पी.आर.खूंटे की शीघ्र ही ताराचन्द साहू से चर्चा हो सकती है।
निकला सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला
आकार लेता तीसरा मोर्चा आसास (आदिवासी, साहू, सतनामी) को केन्द्र में रखकर मुख्य चुनावी रणनीति तैयार कर रहा है। राज्य में अजा के लिए 10 और अजजा के लिए कुल 29 सीटें आरक्षित है, इसलिए इन 39 सीटों को केन्द्र में रखकर व्यूहरचना की जा रही है। हाल ही में हुए छत्तीसगढ़ी बईठका में पहले ही समन्वय समिति का गठन किया जा चुका है। इसमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से 5, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच से 6, बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा से 2 सदस्यों को लिया गया है। इनके अलावा समिति में वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम व जेआर राणा को भी शामिल किया गया है। पूर्व सांसद पुरूषोत्तम कौशिक इस समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। इधर, पिछले 7 सालों से राजनीति करती आ रही पूर्व सांसद पीआर खुंटे की छत्तीसगढ़ विकास पार्टी ने भी तीसरे मोर्चे में शामिल होने की हामी भर दी है। यदि तीसरे मोर्चे की अवधारणा चुनावी मैदान में साकार होती है तो किसी भी दल का सत्तासीन होने का ख्वाब इस मोर्चे के बिना पूरा नहीं हो पाएगा।

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