Wednesday 3 October 2012

सावधान रमन..! कि जोशी फिर आएंगे

आडवाणी ने सूरजकुंड तो जोशी ने राजधानी में किया रमन सरकार का कबाड़ा
दक्षिणापथ विशेष
रायपुर। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूरजकुंड में चल रही बैठक में जिस वक्त वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भाजपा शासित राज्यों में लूट और भ्रष्टाचार की खिलाफत कर रहे है, ठीक उसी दौरान छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नेता संजय जोशी राज्य की डॉ. रमन सिंह सरकार की पोल खोल रहे थे। हवाला कांड में सिर्फ अपना नाम आने के बाद सांसदी दांव पर लगाने वाले आडवाणी ने डॉ. रमन सिंह को जिस तरह पूरे परिदृश्य से गायब कर दिया, उसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में आलाकमान की नजरों में रमन-राज भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का अड्डा बन गया है?
रमन सरकार लाख सफाई दे, लेकिन लगता है उसके दामन पर लगी कालिख को मिटा पाना अब आसान नहीं होगा। इसका नजारा भी पिछले दिनों दिल्ली में आम हुआ, जब कोयले की कालिख में नाम आने के बाद रमन को राष्ट्रीय राजधानी आने से ही रोक दिया गया। डॉ. रमन की खराब होती छवि का दूसरा नजारा सूरजकंड में चल रही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में देखने को मिला, जब वरिष्ठ नेता आडवाणी छत्तीसगढ़ और झारखंड के मुख्यमंत्रियों से पल्ला झाड़ते दिखे। लेकिन चंद घंटों के लिए रायपुर प्रवास पर आए भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री संजय जोशी ने जो कुछ कहा, उससे शक-शुबहे के लिए कुछ नहीं बचता। भारतीय राजनीति में शुचिता विषय पर आयोजित कार्यक्रम शामिल होने आए जोशी ने भले ही छत्तीसगढ़ की सरकार या मुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा, उसने सत्ता और संगठन की नींदें हराम करके रख दी है। जोशी को उनकी स्पष्टवादिता के लिए जाना और पहचाना जाता है। नरेन्द्र मोदी के साथ गुजरात में हुए पिछले घटनाक्रम के बाद भले ही उन्होंने भाजपा की जिम्मेदारियों से तौबा कर ली, लेकिन स्पष्टवादिता की वजह से आज भी वे कई लोगों की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं। शायद यही वजह रही कि जिस वक्त जोशी का व्याख्यान होना था, उसी दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का भी अलग से कार्यक्रम रखा गया। वजह साफ थी कि सत्ता और संगठन से जुड़े लोग जोशी के कार्यक्रम में न जा पाएं। हालांकि उनके समर्थकों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को ताक पर रखकर जोशी के कार्यक्रम में न केवल शिरकत की, बल्कि उनके साथ राजनीतिक चर्चाएं भी कीं। इनमें से अधिकांश ऐसे थे, जो मुख्यमंत्री के काकस से लम्बे समय से अलग हैं। इनमें सांसद नंदकुमार साय, विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडे, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने शामिल थे। वहीं जोशी को सुनने के लिए दर्शक दीर्घा में वित्त आयोग अध्यक्ष अजय चंद्राकर, हज कमेटी अध्यक्ष डॉ. सलीम राज, मार्कफेड अध्यक्ष राधाकृष्ण गुप्ता, किसान मोर्चा के अध्यक्ष संदीप शर्मा, भाजपा शहर अध्यक्ष राजीव अग्रवाल सहित अन्य पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
करीब 2 घंटे के धारावाहिक उद्बोधन में संजय जोशी ने राज्य सरकार पर जमकर कटाक्ष किए। उनके मुताबिक, भ्रष्टाचार में राज्य सरकारें साल-दर-साल रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। सरकार में बैठे लोगों का नाता आम लोगों से टूट चुका है। उन्हें केवल अर्थ की चिंता और भूख हो गई, जिसके कारण वे पं. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के एकात्म मानवता के सिद्घांत को भूल चुके हैं। जोशी की बातों को छत्तीसगढ़ के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्य के मुखिया डॉ. रमन खुद कई तरह के आरोपों से घिरे हुए हैं। भले ही उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार का नाम नहीं लिया हो, लेकिन यह निर्विवाद रूप से सच है कि सत्ता और संगठन पर जमीनी कार्यकर्ताओं की बजाए लाभ लेने वालों का कब्जा हो गया है। पार्टी के बुरे दिनों में लाठी-डंडा खाने और भूखे-प्यासे रहकर चुनाव प्रचार करने वाले कार्यकर्ताओं की सुध सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक रमन सरकार ने नहीं ली। इसी तरह यदि जोशी यह कहते हैं कि सरकार में बैठे कुछ लोग धंधा कर रहे हैं तो इसमें भी कोई अतिशंयोक्ति नजर नहीं आती। कई मंत्रियों और संसदीय सचिवों पर बेहद गम्भीर किस्म के आरोप कई बार लग चुके हैं। मंत्रियों के भाइयों या परिजनों द्वारा मंत्रालय संभालने की भी चर्चाएं रहीं हैं। अलबत्ता, जोशी का एक कटाक्ष, कि जिस प्रदेश का राजा व्यापारी होता है, वहां की प्रजा भिखारी बन जाती है, को बेहद गम्भीरता से लेने की दरकार है। जोशी की इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता कि सरकार में बैठे लोगों का नाता आम लोगों से टूट चुका है। वास्तव में सत्ता के मद में मंत्रियों को यह याद ही नहीं रहा कि वे आम लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। शायद इसी का नतीजा है कि अब तक भाजपा या सरकार द्वारा कराए गए सभी तरह के सर्वे में भाजपा और सरकार की छवि में गिरावट बताई गई।
सत्ता-संगठन के अगुवा रहे परेशान
जोशी के राजधानी आगमन को लेकर सत्ता और संगठन के अगुवा लोगों के माथे पर चिंता की रेखाएं खिंची रही। कई वरिष्ठ नेता जोशी की गतिविधियों पर नजर रखे रहे। कौन नेता उनसे मिला, कितने लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की और कितने पूरे समय तक जोशी के साथ रहे, इसकी पल-पल की रिपोर्ट सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों तक पहुंचती रही। दरअसल, जब तक जोशी छत्तीसगढ़ में रहे, प्रदेश भाजपा के दिग्गजों की सांसे अटकी रही। अब जबकि जोशी ने जाते-जाते फिर लौटने का ऐलान कर दिया है, पार्टी के जिम्मेदार लोगों को लगने लगा है कि सरकार को नंगा करने की बची-खुची कसर भी कहीं पूरी न हो जाए।

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